दिल्ली : महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में वरवर राव को मेडिकल आधार पर छह महीने की सशर्त जमानत दी गई है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने मेडिकल आधार पर राव की जमानत अर्जी मंजूर कर ली है . राव 28 अगस्त 2018 से ट्रायल का इंतजार कर रहे थे.
जस्टिस एसएस शिंडे और जस्टिस मनीष पिटाले की पीठ ने कहा कि छह महीने के बाद वरवर राव या तो सरेंडर करेंगे या फिर अपनी जमानत की अवधि को बढ़ा सकते हैं. वरवर राव को मुबंई से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी गई है. उन्हें शहर में ही रहना होगा और किसी भी समय जांच एंजेसियों के सामने पेश होना होगा. कोर्ट ने कहा कि वरवर राव कोर्ट की प्रक्रिया से संबंधित कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं दे सकते और जमानत की अवधि के दौरान राव अपने सह-आरोपियों से संपर्क भी नहीं कर सकते है.
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क्या है भीमा-कोरेगांव का मामला –
1 जनवरी 2018 को महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में पेशवा बाजीराव पर ब्रिटिश सेनिकों की जीत की जश्न मनाया जा रहा था. दरअसल इस जंग में ब्रिटिश सेना के साथ भीमा-कोरोगांव के दलित और बहुजन समुदाय के लोग थे, जो पेशवा के अत्याचार से तंग आ चुके थे इसलिए उन्होंने ब्रिटिश सेना का साथ दिया और जीत हासिल की. इसी जीत का जश्न लोग एल्गार परिषद में मना रहे थे. इसी जनसभा के दौरान उनपर आरोप लगाया कि यहां हिंदुत्व राजनीति के खिलाफ भाषण दिए जा रहे थे. इस मौके पर कई बुद्धजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी भाषण दिए थे. इसी दौरान अचानक हिंसा भड़क उठी. भाषण देने वालों में गौतम नवलखा, वरवर राव समेत कई अन्य बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया था.