यूपी। सरकार लाख दावे कर ले की देश बदल रहा है लेकिन इन बच्चों को देखकर ये सब बाते तब बेईमानी हो जाती है। जब देश का भविष्य अपना वर्तमान कचरे मे ढूढने के लिए मजबूर हो जाता है। यह वह अभागे लोग है। जिन पर न तो सरकार की और ना ही सरकार के सिपासलार की नजर पडती है । इन बदनसीब के सर पर न तो छत है और न ही पेट भरने के लिए भोजन। कचरा उठा रहे इन बच्चो से पूछा कि कचरा क्यो उठा रहे हो, तो एक बच्चा बोल उठा कि इसको फेक दे क्या। लेकिन आप खाना दोगो न ! भूख लगी है न इसलिए?
कचरे के ढेर मे बचपन कब तक जिन्दगी के जद्दोजहद से जूझता रहेगा। सवाल यह उठता है कि क्या इस वर्तमान के सहारे हम देश का भविष्य सुधारने की उम्मीद करें। हकीकत के धरातल पर कब तक सरकार के वादे खोखले साबित होते रहेंगे। बहरहाल सरकार के मंसूबे भले ही सबका साथ सबका विकास वाला हो लेकिन जब जब ऐसी तस्वीरें सामने आती रहेंगी तब तब सरकारी मशीनरी पर सवाल उठता रहेगा ।