यूपी विधानसभा चुनाव पास आते ही राजनेताओं के अयोध्या जाने का सिलसिला तेज हो गया है. अयोध्या जो अपने राम के लिए 500 सालों तक तरसती रही. अयोध्या को अब राम मिल गए हैं तो चुनाव के मुद्दे भी बदल गए हैं. पहले जो लोग अयोध्या के नाम से ही चिढ़ जाते थे, अब वे अयोध्या का तूफानी दौरा कर रहे हैं. इस बार पार्टियों के चुनावी घोषणापत्र में अयोध्या का राम मंदिर भले न हो, लेकिन अयोध्या नेताओं के लिए इस समय ‘हॉट डेस्टिनेशन’ बना हुआ है.
राजनीति को जानने और समझने वाले जानते हैं कि अयोध्या ने बीजेपी को कहां से कहां तक पहुंचा दिया. इसलिए सभी पार्टियां अयोध्या के आराध्य के सहारे अपना राजनितिक मकसद पाना चाहती हैं. बीजेपी के लिए अब अयोध्या की विरासत को संभालना किसी चुनौती से कम नहीं होगा. आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी अब अयोध्या जाने वाले हैं. केजरीवाल 26 अक्टूबर को अयोध्या जाएंगे. केजरीवाल इस दौरान एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश कर रहे हैं.
अरविंद केजरीवाल भी अब दिल्ली तक सीमित होकर नहीं रहना चाहते हैं. अपना दायरा बढ़ाने के लिए उन्हें बीजेपी की राह पर चलना या उसके मुद्दों को चुराने में कोई गुरेज नहीं है. केजरीवाल ने हाल ही में कहा था कि मैं भगवान राम और हनुमान का भक्त हूं. हम जनता की सेवा के लिए रामराज्य की संकल्पना से प्रेरित होकर 10 सिद्धांतों का पालन करते आ रहे हैं. केजरीवाल ने कहा था कि प्रभु श्रीराम हम सबके अराध्य हैं. मैं व्यक्तिगत तौर पर हनुमान जी का भक्त हूं और हनुमान जी श्रीराम जी के भक्त हैं, इस नाते में दोनों का भक्त हूं.