दिल्ली: सोमवार की तड़के सुबह म्यांमार और म्यांमार की राजनीति में एक बड़ा भूचाल आ गया. म्यांमार की नेता आंग सान सी की और सत्तारूढ़ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को गिरफ्तार कर, वहां की सेना ने एक साल के लिए इमरजेंसी का ऐलान कर दिया है. म्यांमार की सेना ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए तख्तापलट और सत्ता अपने हाथ में ली है. म्यांमार में हुए म्यांमार से भारत की चिंता बढ़ सकती है क्योंकि म्यांमार नेता आंग सान सू के साथ भारत के अच्छे रिश्ते रहे हैं. म्यांमार ही एक ऐसा देश है जो भारत की “नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी” और “एक्ट ईस्ट” पॉलिसी का केंद्रबिंदु है. म्यांमार बिमस्टेक का एक महत्वपूर्ण सदस्य है.
भारत के विदेश मंत्रालय ने पूरे घटनाक्रम की कड़े शब्दों में निंदा की है. मंत्रालय ने कहा कि “ हमने म्यांमार में हुए घटनाक्रम को संज्ञान लिया. भारत म्यांमार में हमेशा लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता के पक्ष में रहा है. भारत का मानना है कि कानून को शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रियांए कायम रहनी चाहिए. हम पूरे हालात पर करीब से नजर बनाए हुए है.
सत्तारूढ़ पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी के प्रवक्ता म्यो नुएंत ने बताया कि म्यांमार की नेता आंग सान सू की और सत्तारूढ़ पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया है. पिछले कुछ दिनों से ही म्यांमार की सरकार और सेना के बीच तनाव चल रहा था और तख्तापलट की आंशका जताई.
म्यांमार और भारत के रिश्ते-
म्यांमार में हुए घटनाक्रम का भारत पर भी असर पड़ना तय है. भारत की म्यांमार के साथ 1600 किलोमीटर लंबी सीमा है. म्यांमार के साथ भारत की समुद्री सीमा भी लगती है. म्यांमार की नौसेना को भारत ने कई पनडुब्बियों की भी आपूर्ति की है. भारत के विदेश सचिव और आर्मी चीफ ने अक्टूबर महीने में ही म्यांमार का दौरा किया था. म्यांमार की नौसेना को भारत ने कई पनडुब्बियों की भी आपूर्ति की है. भारत के विदेश सचिव और आर्मी चीफ ने अक्टूबर महीने में ही म्यांमार का दौरा किया था. इस दौरे में कोविड-19, वैक्सीन की आपूर्ति और तकनीक समेत कई विषयों पर बातचीत हुई थी जबकि इसके उल्ट म्यांमार की सेना के साथ भारत के संबंध बहुत अच्छे नहीं रहे हैं. म्यांमार में तख्तापलट होने के बाद अब भारत की कई योजनाओं पर भी असर पड़ सकता है.