दिल्ली (Delhi). भारतीय नौसेना से रिटायर किए जा चुके युद्धपोत INS विराट को डिस्मैन्टल करने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने कहा है कि फिलहाल इसकी यथास्थिति बनी रहेगी. आईएनएस विराट को एनविटेक मरीन कंसल्टेंट्स लिमिटेड नाम की कंपनी ने खरीदने के लिए 100 करोड़ की पेशकश की है. इस कंपनी ने युद्धपोत को बतौर संग्रहालय संरक्षित करने की मांग की थी.
जानकारी के मुताबिक विमान वाहक पोत विराट को 1987 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था. वहीं साल 2007 में भारतीय नौसेना ने ‘आईएनएस विराट’ को रिटायर कर दिया था. इसके बाद इसे भावनगर के श्रीराम ग्रुप ने खरीदा था. इस युद्धपोत को तोड़ने की तैयारी चल रही थी. इसके लिए इसे गुजरात के अलंग जहाज तोड़ने वाले यार्ड में पहुंचाया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने अब इसे तोड़ने पर रोक लगा दी है. इस विमान का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे अधिक समय तक सेवा देने के लिए शुमार है.
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बता दें कि करीब विराट का वजन करीब 24 हजार टन है. इसकी लंबाई करीब 740 फीट और चौड़ाई करीब 160 फीट थी. उस पर डेढ़ हजार (1500) नौसैनिक तैनात होते थे. विराट पर एक समय में तीन महीने का राशन रखा रहता है. साथ ही उसपर तैनात सी-हैरियर लड़ाकू विमान और सीकिंग हेलीकॉप्टर विराट की ताकत को कई गुना बढ़ा देते थे. वहीं पिछले साल दिसंबर में महाराष्ट्र सरकार ने सेवा से मुक्त हो चुके विमानवाहक पोत आईएनएस विराट को मरम्मत के साथ संरक्षित करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है. शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस बाबत रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखा था.