दिल्ली (Delhi). उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग करने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. याचिकाकर्ता ने यूपी में खराब कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की थी. जिस पर कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि याचिकाकर्ता ने इस संबंध में कोई रिसर्च नहीं की है. साथ ही ज्यादा बहस करने पर जुर्माना लगाने की भी बात कही.
जानकारी के मुताबिक सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यम की पीठ ने याचिकाकर्ता से अन्य राज्यों के अपराध के रिकॉर्ड पर शोध करने को कहा. उन्होनें नाराजगी जताते हुए कहा, ज्यादा बहस करेंगे तो भारी जुर्माना लगा दिया जाएगा. पीठ ने याचिकार्ता से कहा कि वह जो दावे कर रहे हैं उसके संदर्भ में कोई शोध नहीं है और पूछा कि उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कैसे हो रहा है.
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जिसके बाद कोर्ट ने कहा, “आपने कितने राज्यों में अपराध के रिकॉर्ड का अध्ययन किया? क्या आपने अन्य राज्यों के अपराध रिकॉर्ड का अध्ययन किया? अन्य राज्यों में अपराध रिकॉर्ड पर आपका शोध क्या है? हमें दिखाइये कि आप किस आधार पर यह कह रहे हैं.” न्यायालय ने कहा कि उनके द्वारा किए गए दावों के संदर्भ में कोई शोध नहीं किया गया है.
बता दें कि याचिकाकर्ता तमिलनाडु के रहने वाले वकील सीआर जयासुकिन हैं. जिन्होंने याचिका में हाथरस मामले का हवाला देते हुए यूपी में मौलिक अधिकारों का हनन होने का दावा किया था. लिहाजा राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग की थी. सुनवाई के दौरान जयासुकिन का कहना था कि यूपी में कानून व्यवस्था खराब है. NCRB के आंकड़े भी बताते हैं कि महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधिक मामले यूपी में ज्यादा हैं.