दिल्ली (Delhi). सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से यौन उत्पीड़न के आरोपी को पीड़िता से राखी बंधवाने की शर्त के साथ जमानत देने के फैसले को रद्द कर दिया. साथ ही वकीलों, जजों और सरकारी वकीलों को यौन उत्पीड़न के मामले में महिलाओं के खिलाफ स्टीरियोटाइप टिप्पणि करने से बचने की सलाह दी है.
जानकारी के मुताबिक sc ने जजों, वकीलों और सरकारी वकीलों के सेंसटाइजेशन के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल सहित कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं. मालूम हो कि मध्य प्रदेश के इस मामले में 9 महिला वकीलों ने जमानत की शर्त को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. महिला वकीलों ने कहा कि ऐसे आदेश महिलाओं को एक वस्तु की तरह दिखाते हैं.
क्या है पूरा मामला:
अप्रैल 2020 में पड़ोस में रहने वाली महिला के घर में घुसकर छेड़छाड़ के आरोप में विक्रम बागरी जेल में बंद था. जिसने इंदौर में जमानत याचिका दायर की थी. वहीं 30 जुलाई को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने छेड़छाड़ के आरोपी को पीड़िता से राखी बंधवाने और 50 हजार के मुचलके के साथ जमानत दे दी थी.