दिल्ली (Delhi). राजधानी में अब दिल्ली सरकार की अनुमति के बगैर निजी स्कूल भी अपने शिक्षकों और कर्मचारियों को नौकरी से नहीं निकाल सकेंगे. यह फैसला शनिवार को दिल्ली स्कूल ट्रिब्यूनल ने लिया है. ट्रिब्यूनल ने निजी स्कूल द्वारा एक शिक्षिका को नौकरी से बर्खास्त किए जाने को गैर कानूनी बताया है. इसके साथ ही शिक्षिका को दोबारा से बहाल करने का आदेश दिया है.
जानकारी के मुताबिक इस मामले में स्कूल प्रबंधन ने तय कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किए बगैर ही शिक्षिका सरिका डबास को नौकरी से निकाल दिया गया. जिस पर ट्रिब्यूनल ने कहा कि ऐसे शिक्षिका को बर्खास्त करने के लिए स्कूल प्रबंधन द्वारा अक्तूबर, 2019 में जारी आदेश को रद्द किया जाता है. इस दौरान ट्रिब्यूनल के पीठासीन अधिकारी दिलबाग सिंह पूनिया ने दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम और दिल्ली स्कूल शिक्षा नियम के प्रावधानों का विस्तार से हवाला देते हुए कहा कि शिक्षकों/कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के लिए सरकार/शिक्षा निदेशालय की अनुमति अनियार्य है.
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इसके साथ ही मामले में फैसला देते हुए ट्रिब्यूनल ने मार्डन चाइल्ड पबल्कि स्कूल, पंजाबी बस्ती नांगलोई को याचिकाकर्ता सरिका डबास को 4 सप्ताह के भीतर दोबारा से बहाल करने का आदेश दिया. साथ ही पूरा वेतना और भत्ता देने का भी आदेश दिया है. इतना ही नहीं, ट्रिब्यूनल ने कहा कि स्कूल के जिस प्रबंधक ने शिक्षिका को स्कूल से निकालने का फैसला लिया, वह इस तरह के आदेश पारित करने के लिए सक्षम नहीं थे. साथ ही उन्होंने न ही मामले की जांच की और न ही बर्खास्तगी के लिए किसी बैठक के मसौदे का हवाला दिया.
क्या था मामला:
बता दें कि काफी सालों से स्कूल में कार्यरत शिक्षिका को अवैध छुट्टी लेने के आरोप में स्कूल प्रबंधन ने अक्तूबर, 2019 में नौकरी से हटा दिया था. जिसके बाद शिक्षिका ने इसके खिलाफ अधिवक्ता अनुज अग्रवाल के माध्यम से ट्रिब्यूनल में याचिका दाखिल कर कहा कि नौकरी से निकालने के स्कूल ने तय मानकों और कानून का पालन नहीं किया.