विश्वभर में कोरोना फैलाने वाला चीन अपने देशवासियों की राह में रोड़ा बनने जा रहा है. बीजिंग इंटरनेट मीडिया पर ब्लॉग के जरिए सुनाई देने वाली आवाज को दबाने के लिये एक नया कानून लाने की तैयारी में है. अगले सप्ताह की शुरुआत में ब्लॉगर्स (Bloggers) व इफ्लुएंसर्स (Influencers) को कुछ भी लिखने से पहले सरकार से मंजूर किए गए डॉक्युमेंट्स की जरुरत पड़ेगी. कुछ भी लिखने से पहले चीनी साइबरस्पेस प्रशासन को इसे दिखाना होगा.
ऐसे में लोगों का मानना है कि सरकारी मीडिया व अधिकारिक प्रोपैगेंडा अकाउंट्स को ही सरकार की तरफ से मंजूरी मिल पाएगी. बता दें, राजनीति व सैन्य मामलों जैसे विषयों के संबंध में लिखने के लिए साल 2017 से ही ब्लॉगर्स को परमिट की आवश्यकता होती है. जबकि ये नियम पूर्ण रुप से प्रचलन में नहीं था, लेकिन नए नियमों के मुताबिक हेल्थ, इकोनॉमी, एजुकेशन और कानून मामलों पर लिखने से पहले ब्लॉगर्स को परमिट की जरुरत होगी.
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वहीं ताइवान स्थित नेशनल सुन यात सेन यूनिवर्सिटी (University) में चीनी इंटरनेट मीडिया नीति के विशेषज्ञ टाइटस चेन का कहना है कि सूचना के तमाम सिस्टम को कंट्रोल करना चाहता है. इसके चलते इस तरह के कदम उठाए जा रहे हैं. चीन की तरफ से उठाया गया कदम और ज्यादा प्रतिबंधों को लागू करता है. राष्ट्रपति शी जिनपिंग की लीडरशिप में पहले से ही चर्चा का काफी कम स्पेस बचा है. नए नियमों के माध्यम से रियल कंटेंट को प्रकाशित करने पर रोक लगाई जाएगी. इस प्रकार से कुछ असल सूचनाएं लोगों तक पहुंचती थी, उसे पूर्ण रुप से खत्म कर दिया जाएगा.