दिल्ली: पाकिस्तान में हिंदु अल्पसंख्यकों पर होने वाले अन्याय को पाकिस्तान सरकार छिपाती रही है. अब पाकिस्तान के उच्चतम न्यायलय द्वारा बनाई गई डॉ शोएब सडल की आयोग ने अपनी सातवीं रिपोर्ट आयोग को सौंपी है, जिसमें हिंदु धर्मस्थलों की स्थिति को निराशाजनक बताया गया है.
पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, सडल आयोग ने 5 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट को हिंदुओं के धार्मिक स्थलों के संबंध में रिपोर्ट सौंपी, जिसमें अवाक्यूयी ट्रस्ट प्रॉपर्टी(ईटीपीबी) अल्पसंख्यक के स्मारकों और धर्मस्थलों की देखभाल करने में असफल है. रिपोर्ट में मंदिरों की जर्जर तस्वीरों को भी शामिल किया गया है.
इस आयोग को सुप्रीम कोर्ट ने गठित किया था. वर्तमान में एक सदस्यीय आयोग में तीन सहायक सदस्य एमएनए डॉ रमेश वंकवानी, साकिब जिलानी और पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल हैं.
रिपोर्ट में कहा गया कि टेरी मंदिर(करक), कटस राज मंदिर(चकवाल), प्रह्लाद मंदिर(मुल्तान) और हिंगलाज मंदिर(लासबेला) के जीर्णोद्धार के लिए एक साथ प्रयास किए जाने चाहिए. आयोग ने रिपोर्ट में बताया कि पाकिस्तान में 365 मंदिर हैं, जिनमें सिर्फ 13 के रखरखाव की जिम्मेदारी ईटीपीबी ने ली हुई है.65 मंदिर ऐसे हैं जिनकी देखरेख हिंदु समुदाय खुद कर रहा है तो वहीं 287 मंदिरों को भू-माफियों के हवाले छोड़ दिया गया है. उन्होंने हिंदुओं और सिखों के पवित्र स्थलों के लिए एक कार्यकारी समूह स्थापित करने के लिए ईटीपीबी अधिनियम में संशोधन का भी सुझाव दिया गया है.
आयोग की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि 73 साल बीतने के बाद भी ईटीपीबी की रूचि सिर्फ प्रवासित अल्पसंख्यकों की महंगी संपत्तियों को कब्जे में लेने में रही है. इतना ही नहीं सैकड़ों कस्बों में अल्पसंख्यक समुदायों के धर्मस्थलों, पूजा स्थलों या अन्य संपत्तियों को भी ईटीपीबी ने अपने कब्जे में लिया हुआ है.