दिल्ली: नेपाल की राजनीती में रविवार को आया भूकंप, देश के मौजूदा प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को कम्युनिस्ट पार्टी से बाहर निकाल दिया गया है. साथ ही साथ के पि ओली की सदस्यता भी रद्द करदी गए है. ANI से बातचीत के दौरान स्पिलन्टर समूह के प्रवक्ता, नारायण काजी श्रेष्ठ ने कहा कि केपी शर्मा ओली की सदस्यता को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है.
देखा जाए तो पार्टी में ओली के खिलाफ बगावत काफी समय पहले से जारी थी. NCP के पृथक समूह के नेता पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने शुक्रवार को एक बड़ी सरकार विरोधी रैली का नेतृत्व किया था. रैली के दौरान दहल ने कहा था, की केपी शर्मा ओली द्वारा संसद को अवैध तरीके से भंग किए जाने से देश में मुश्किल से हासिल की गई संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य प्रणाली को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है.
पूर्व पीएम प्रचंड ने नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के समर्थकों को सम्भोदित करते हुए कहा कि ओली ने न सिर्फ पार्टी के सविंधान और प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया बल्कि नेपाल के संविधान की मर्यादा का भी उल्लंघन किया है. उन्होंने कहा कि ओली के कदमों के चलते लोग प्रदर्शन करने को विवश हुए हैं. हमारा पूरा देश प्रतिनिधि सभा को भंग किए जाने के खिलाफ है. नेपाल 20 दिसंबर 2020 को संकट में तब फँस गया जब चीन के समर्थक समझे जाने वाले केपी ओली ने पूर्व पीएम प्रचंड सत्ता संघर्ष के दौरान प्रतिनिधि सभा भंग करने की सिफारिश कर दी थी.