करवा चौथ व्रत का कब है शुभमुहूर्त
करवा चौथ का व्रत कार्तिक कृष्ण मास की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस साल यह तिथि 24 अक्टूबर को है. चतुर्थी इस बार 24 अक्टूबर को रविवार के दिन प्रात: 03 बजकर 01 मिनट पर प्रारंभ होगी और 25 अक्टूबर को प्रात: 05 बजकर 43 मिनट तक रेगी. यह व्रत 24 अक्टूबर को रविवार के दिन रखा जाएगा।
जानें क्या महत्व है करवाचौथ व्रत का
करवा चौथ को लेकर मान्यता है कि यह व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है और इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में आने वाली परेशानियां भी दूर होती हैं। इस दिन माता पार्वती का पूजन किया जाता है और मान्यता ही माता प्रसन्न होकर सौभाग्यवती का आशीर्वाद देती हैं।
करवा चौथ की पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार करवा नाम की स्त्री अपने पति के साथ नदी के किनारे के गांव में रहती थी। एक दिन उसका पति नदी में स्नान कर रहा था तभी एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ लिया। वह मनुष्य अपनी पत्नी को पुकारने लगा। उसकी आवाज सुनकर पत्नी करवा वहां पहुंची और मगरम्छ को कच्चे धागे से बांध दिया। इसके बाद महिला यमराज के पास पहुंची और विनती करते हुए कहा कि हे भगवन! मगरमच्छ को आप नरक में ले जाओ। यमराज बोले, उसकी आयु शेष है, उसे नहीं मार सकते। इस पर करवा बोली, ‘अगर आप ऐसा नहीं करोगे तो मैं आप को श्राप दें दूंगी।’ यह सुनकर यमराज मगरमच्छ को यमपुरी भेज दिया। तभी से उस महिला को करवा माता कहने लगे और उनकी पूजा की जाने लगी।

जानें क्या है सरगी का महत्व
सरगी आम तौर पर पंजाबी समुदाय के लोगों में ज्यादा प्रचलित होती है, लेकिन दूसरे समुदाय के लोग भी इसका प्रयोग करते हैं। सरगी का मतलब है कि सास की ओर से बहू को करवा चौथ पर दी जाने वाली एक तरह की भेंट। यह भोजन की एक ऐसी थाली होती हैं जिसमें कुछ खास चीजें होती हैं। इन्हें खाने के बाद दिनभर निर्जला उपवास रखा जाता है।
सरगी की थाली में ऐसी चीजें होती है जिसे खाने से भूख और प्यास कम लगती है और दिनभर एनर्जी बनी रहती। इसमें सूखे मेवे और फल होते हैं। साथ ही मिठाई होती है। अगर सास सरगी नहीं दे सकती तो बहू को पैसे भिजवा सकती हैं। सरगी में खाने के सामान के अलावा कपड़े, सुहाग की चीज, फेनिया, नारियल आदि रखे होते हैं।