दिल्ली : दिल्ली से सटे सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन का 100 दिन पूरे होने को है लेकिन अब तक न सरकार किसानों की बात मान रही है और न किसान सरकार द्वारा लाए गए कानून को स्वाकीर करना चाहते है . किसानों की मांग है कि सरकार तीनों कृषि कानून को वापस लें लेकिन सरकार कृषि कानूनों में संशोधन तो करना चाहती है ,वापस नहीं लेना चाहती है. ऐसे में किसान अब अपने आंदोलन को गांव तक पहुचांना चाहते है कि ताकि ज्यादा लोगों को इससे जोड़ा जा सके. इस बीच किसान आंदोलन का चेहरा बन चुके राकेश टिकैत ने कहा कि राजद्रोह का मतलब देशद्रोह नहीं होता है.
दरअसल बागपत में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेस को में जब पत्रकारों ने उनसे उनकी राजनीतिक योजना के बारे में पूछा तो राकेश टिकैत ने कहा संयुक्त किसान मोर्चा की यह योजना है कि हमें राजनीतिक पार्टियों वाली लाइन पर नहीं जाना है. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा किया तो सरकार यह कहेगी कि ये लोग सत्ता परिवर्तन करवाना चाहते हैं.
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साथ ही राकेश टिकैत ने कहा कि राजद्रोह का मतलब देशद्रोह नहीं होता है. सरकार चाहे किसी की भी अगर नीतियां खराब होगी तो देशभर में आंदोलन होगा. आगे उन्होंने कहा , ‘किसान आंदोलन से ही जिंदा रहेगा किसी पॉलिटिकल पार्टी से किसान जिंदा नहीं रह सकता है.’ इस दौरान टिकैत ने लाल किले में हुई हिंसा में जानबूझकर भोले भाले किसानों को फंसाया गया . तय किए गए रूट पर भी बैरिकेडिंग की गयी. दिल्ली की सीमाओं के अलावा देशभर के अलग-अलग हिस्सों में किसानों का आंदोलन चल रहा है. किसान नेता कई जगह जाकर किसान महापंचायत कर रहे हैं. इन महापंचायतों में लोगों की भयंकर भीड़ जमा हो रही है.