दिल्ली: (Delhi) सात साल लंबी लड़ाई लड़ने के बाद 20 मार्च 2020 को निर्भया के गुनाहगारों को फांसी पर लटका दिया गया था. निर्भया के साथ बस में बर्बरता करने वाले चारों आरोपियों को उनके कुकर्म की सज़ा दी गई थी. तिहाड़ जेल के 3 नंबर फांसी घर में 19 मार्च 2020 की रात से ही हलचल होनी शुरु हो गई थी. आरोपियों ने खुद को फांसी से बचने के लिए कई हथकंथे इस्तेमाल किए, लेकिन कापी उतार-चढ़ाव के बाद आखिरकार निर्भया को इंसाफ मिल ही गया.
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आज ही के दिन मीडिया और लोगों की भीड़ तिहाड़ जेल के बाहर थी. लोगों को सुबह साढ़े 5 बजे का इंतजार था जब दोषियों को फांसी पर लटकाने का आदेश था. दूसरी तरफ हालात को संभालने के लिए पुलिस व अर्धसैनिक बल को तैनात किया गया. सुबह करीब साढे 3 बजे दोषियों की याचिका खारिज होते ही जेल कर्मियों की टीम फांसी की प्रक्रिया में जुट गई थी. साढ़े तीन बजे जेल नंबर तीन के धीक्षक चारों दोषियों अक्षय, पवन, विनय और मुकेश की सेल में गए और उन्हें बताया गया कि प्रात: साढ़े पांच बजे उन्हें फांसी दी जाएगी. सुरक्षा के बीच दोषियों को नहलाया गया. फिर निर्भया के दोषियों के स्वास्थ्य की जांच करवाई गई. मेरठ के पवन जल्लाद ने दोषियों की फांसी प्रक्रिया को अंजाम दिया.