दिल्ली: देश में कृषि कानूनों पर चल रहे प्रदर्शनों को देखते हुए, ये उम्मीद की जा रही थी कि किसानों के लिए सरकार 2021 के बजट में कुछ खास रखेगी लेकिन बजट में भी सरकार ने कृषि विभाग के लिए पिछले बजट की तुलना में महज 2.9 प्रतिशत की वृद्धि की. इससे भी बदतर हालत ये है कि सरकार पिछले आवंटित कृषि बजट का भी पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाई .
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2020 को कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग को 1,34,399.77 करोड़ रुपये आवंटित किए और 2019-20 में आवंटित 1,30,485.21 करोड़ आवंटित किए गए थे. किसानों को नकद सहायता प्रदान करने वाली योजना प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लिए 75000 करोड़ रूपये आवंटित किए गए है ,पिछले बजट में पीएम किसान सम्मान निधि के लिए आवंटित राशि का भी इस्तेमाल सरकार नहीं कर पाई थी. इस योजना के तहत केंद्र सरकार तीन समान किश्तों में छोटे और सीमांत किसानों को 6,000 रुपये प्रति वर्ष प्रदान करेगी लेकिन ये सुविधा भी केवल 25 प्रतिशत किसानों को ही मिल पाई थी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए 1 फरवरी को बजट सत्र के दौरान 16 सूत्रीय कार्ययोजना की घोषणा की है. इसमें किसानों को रेलगाड़ियों (किसान रेल) और उड़ानों के लिए और किसानों को पानी की कमी से राहत प्रदान करने के उपाय शामिल थे लेकिन इन घोषणाओं को किसान नेताओं और विशेषज्ञों से भी खराब प्रतिक्रिया मिली है.कृषि बीमा योजनाओं का बजट 13,640 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 15,695 करोड़ रुपये कर दिया गया है. रेनफेड एरिया डेवलपमेंट एंड क्लाइमेट चेंज का बजट 250 करोड़ रुपये से घटाकर 202 करोड़ रुपये कर दिया गया. कृषि अनुसंधान और शिक्षा के लिए बजट को 8,078.76 करोड़ रुपये से मामूली बढ़ाकर 8,362 करोड़ रुपये कर दिया गया.
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश टिकैत ने बजट को निराशाजनक बताते हुए कहा कि “यह 16-सूत्रीय कार्य योजना देश के 10 प्रतिशत से अधिक किसानों को कवर नहीं करने वाली है. उन्होंने कहा, “यह बजट रासायनिक उर्वरकों पर सब्सिडी को कम करता है, जो उत्पादकता के साथ-साथ किसानों की आय को भी प्रभावित करेगी