दिल्ली: देश की राजधानी में पिछले 70 दिनों से किसानों का प्रदर्शन जारी है. किसान दिल्ली की सीमाओं पर तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए है और इसे लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन चल रहे हैं. आंदोलनकारियों पर प्रशासन कार्रवार्ई भी कर रहा है. इस बीच बिहार में प्रदर्शनों को लेकर नीतिश सरकार का एक ऐसा फरमान आया है , जिसने सभी को हैरान कर दिया. बिहार में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को सरकारी नौकरी नहीं दी जाएगी. बिहार पुलिस प्रदर्शन में शामिल लोगों का आचरण, प्रमाण-पत्र खराब कर देगी, इससे उन्हें भविष्य में सरकारी नौकरी मिलने में दिक्कत आ सकती है.
बिहार के डीजीपी एसके सिंघल के कार्यालय से जारी एक नोटिफिकेशन के तहत अगर कोई व्यक्ति विरोध प्रदर्शन औप सड़क जाम या कानून व्यवस्था खराब करने जैसे अपराधिक मामलों में लिप्त पाया जाता है और पुलिस चार्जशीट में उसका नाम आता है तो उसे गंभीर सजा भुगतनी होगी. आदेश के मुताबिक बिहार में सरकारी ठेका, सरकारी नौकरी, हथियार का लाइसेंस और पासपोर्ट के लिए पुलिस वैरिफिकेशन अनिवार्य होगा. चरित्र प्रमाण पत्र को लेकर जारी आदेश का पालन करवाने की जिम्मेदारी थानाध्यक्ष पर होगी. किसी भी परिस्थिति में चूक नहीं होनी चाहिए. बिहार पुलिस ने यह आदेश एक जनवरी 2021 को जारी किया. गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी की ओर से जारी पत्र में कहा गया था कि बिहार में सरकारी ठेके उन्हीं व्यक्तियों को दिया जाये जिनका चरित्र स्वच्छ हो. ठेकेदार और उनके कर्मचारियों का चरित्र स्वच्छ होने का प्रमाण पत्र पुलिस जारी करेगी.
विपक्ष के तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया ”मुसोलिनी और हिटलर को चुनौती दे रहे नीतीश कुमार कहते है अगर किसी ने सत्ता-व्यवस्था के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन कर अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग किया तो आपको नौकरी नहीं मिलेगी. मतलब नौकरी भी नहीं देंगे और विरोध भी प्रकट नहीं करने देंगे.
नीतीश सरकार के पूर्व मंत्री और जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा है कि विपक्ष बेवजह इस मामले को तूल दे रहा है. नीरज कुमार ने कहा, ”ये सारी बातें पहले से संविधान में इंगित है.विपक्ष बेवजह की दलील दे रहा है, धरना प्रदर्शन के बहाने हम किसी को कानून हाथ में नही लेने दे सकते हैं. इस आदेश का गलत आशय निकाला जा रहा है.”