दिल्ली: इलेक्ट्रिक वाहनों की पटरी पर सार्वजनिक परिवहन को दौड़ाने की तैयारी चल रही है. शुरुआत में ई- वाहनों का खर्च थोड़ा अधिक है, लेकिन पेट्रोल की तुलना में 75 फीसदी और डीजल की तुलना में 66 फीसदी बचत कर सकते हैं. कनेक्टिविटी के लिए ई-रिक्शा, वित्तीय सहायता से ई-वाहनों पर 20 से 33 फीसदी की बचत और प्रदूषण मुक्त (जीरो पॉल्यूशन) होने की वजह से माना जा रहा है कि अगला दौर ई-वाहनों का होगा. बता दे कि ई-वाहनों पर खर्च केवल चार्जिंग का है. इसमें न तो वायु और न ही ध्वनि प्रदूषण होता है। ऐसे में डीजल, पेट्रोल और सीएनजी वाहनों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल से अधिक कीमत की वसूली तीन से चार वर्ष में की जा सकती है.
प्रदूषण को रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने शून्य उत्सर्जन वाले वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए अगले छह महीने में सरकारी दफ्तरों के वाहनों को ई-वाहनों में बदलने का निर्णय लिया है. ई-वाहनों की सबसे खास बात यह है कि इससे बीएस-6 वाहनों से भी कम प्रदूषण होगा, ऐसा कहना है सेंटर फॉर साइंस की पर्यावरण मामलों (प्रमुख, क्लीन एयर प्रोग्राम) की विशेषज्ञ अनुमिता राय चौधरी का. उन्होंने ये भी कहा फिलहाल, कीमत अधिक होने की वजह से बिक्री थोड़ी कम है, लेकिन बिक्री बढ़ेगी तो कीमत में भी राहत मिलेगी.
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ई-वाहनों के कई सारे फायदे हैं जिनसे काफी बचत की जा सकती है. जैसे वाहन की बैटरी खराब होती है तो इसे बदलने पर भी इंसेंटिव मिलेगा। लिथियम-आयरन से बनी बैटरियों से मेटल का दूसरे तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. और नए ई-वाहनों की खरीद के लिए पुराने वाहनों पर स्क्रैपिंग इंसेंटिव भी मिलता है.