भोपाल। सनातन हिन्दू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। एकादशी के दिन व्रत करके विष्णु भगवान की पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और समस्त प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती हे। पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति नियम पूर्वक एकदशी का व्रत करता है वह संसार के समस्त सुखो को भोगने के बाद वैकुण्ठं लोक की प्राप्ति करता है।
परविर्तिनी/पार्श्व एकादशी समय मुहूर्त
- एकादशी व्रत की शुरुआत : 17 सितंबर दिन शुक्रवार को सुबह 9:36 से
- एकादशी व्रत की समाप्ति: 18 सितंबर दिन शनिवार, 8:07 AM तक
- पारण का समय : सुबह 6 बजकर 07 मिनट से 6:54 तक।

परविर्तिनी/ पार्श्व एकादशी का महत्व
पंचाग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पार्श्व या परवर्तनी एकादशी के नाम से जाना जाता हैं। इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार विष्णु भगवान देवशयनी एकादशी के बाद 4 महीने के लिए सो जाते है, जिसे चातुर्मास कहा जाता हे। चातुर्मास की समाप्ति चार महीने बाद देवउठनी एकादशी के दिन होती है। इस बीच भगवान विष्णु योग निद्रा में सोते हुए करवट बदलते हैं। शयन अवस्था में परिवर्तन होने के कारण इसे पार्श्व या परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है।

इस एकदशी को वामन एकादशी, जलझूलनी एकादशी, पद्मा एकादशी, डोल ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन विधि विधान से भगवान विष्णु के वामन अवतार का पूजन करके नियम पूर्वक एकदशी का व्रत करना चाहिए।