भोपाल। दिपावली पर महालक्ष्मी और श्री गणेश जी की पूजा की जाती है, लेकिन पूजन से पहले कुछ बातो का ध्यान रखना चाहिए, जिसमे महालक्ष्मी की मूर्ति लेते समय विशेष ध्यान रखना चाहिए, यदि ऐसा ना हो तो माता की पूजा फलित नहीं होती है।

जानिए मूर्ति स्थापना करने का सही विधान
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता लक्ष्मी समुद्र मंथन से उत्पन्न हुई थीं और उनके आगमन के समय भगवान विष्णु के साथ सभी देवता हाथ जोड़कर उनकी आराधना कर रहे थे। कार्तिक अमावस्या के दिन महालक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है, इस दिन अपने मकान, दुकान और व्यापारिक प्रतिष्ठान में महालक्ष्मी की पूजन विधि विधान से करना चाहिए, साथ हि देहली विनायक, मां काली, सरस्वती और कुबेर की पूजा भी करनी चाहिए।

लक्ष्मी पूजन के समय मूर्ति स्थापना की विधि का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
1 – पुराणों के अनुसार देवी लक्ष्मी को चंचल बताया गया हैं, इसलिए कभी भी उनकी खड़ी अवस्था वाली मूर्ति की पूजन नहीं करना चाहिए, यदि कोई व्यक्ति खड़ी मूर्ति की पूजा करता हैं तो उस जगह लक्ष्मी ज्यादा देर तक नहीं टिकती हैं. इसलिए घर में हमेशा माता लक्ष्मी की बैठी हुई प्रतिमा रख कर पूजन करें।
2 – माता लक्ष्मी का वाहन उल्लू है और ये भी चंचल स्वभाव वाला होता है, ऐसे में लक्ष्मी मूर्ति कभी उल्लू पर बैठी अवस्था में नहीं रखनी चाहिए।
3 – अधिकतर घरों में माता लक्ष्मी मूर्ति गणेशजी के साथ रखी दिखती हैं, लेकिन इस तरह रखना गलत है, मां लक्ष्मी विष्णु जी की पत्नी हैं, इसलिए माता लक्ष्मी की मूर्ति के साथ विष्णुजी को रखना चाहिए जी की अति शुभ होता हैं।
4 – गणेश जी और लक्ष्मीजी को सिर्फ दीपावली के दिन एक साथ रखना चाहिए, इस दिन घर व् परिवार में सुख-समृद्धि के लिए लक्ष्मी-गणेश की साथ पूजन करना चाहिए।
5 – लक्ष्मी जी कि मूर्ति रखते समय ध्यान दें कि मूर्ति कभी दीवार से सटाकर नहीं रखनी चाहिए। ऐसा करने से वास्तु दोष माना जाता है। मूर्ति और दीवार के बीच कुछ दूरी बनाकर रखना चाहिए।
6 – वास्तु के अनुसार पूजा घर में स्थापित देवी -देवताओं की मूर्ति को सही दिशा में रखना बेहद जरूरी है। लक्ष्मी मूर्ति को हमेशा उत्तर-दिशा में रखनी चाहिए।
7 – पूजा घर में देवी लक्ष्मी की एक से अधिक मूर्तियां और तस्वीरें नहीं होना चाहिए। शास्त्रों में इसे वर्जित माना गया है।

लक्ष्मीजी के दत्तक पुत्र हैं श्री गणेश
माता पार्वती ने गणेश जी को लक्ष्मी जी की गोद में दे दिया था तब से भगवान गणेश को माता लक्ष्मी के दत्तक-पुत्र माना जाता हैं।