भोपाल। मध्य प्रदेश में होने वाले उपचुनाव का असर अधिकारियों-कर्मचारियों के महंगाई भत्ते और पेंशनर की महंगाई राहत पर पड़ा है। राज्य में आदर्श आचार संहिता चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही लागू हो जाती है और इस वजह से सरकार अब कोई बड़ा और सार्वजनिक फैसला नहीं ले सकती है। ऐसे निर्णयों के लिए चुनाव आयोग की अनुमति की जरुरत होती है बिना अनुमति कोई भी बड़ा कार्य नहीं किया जा सकता। सरकार अब दिवाली के बाद इन भत्तों को बढ़ा सकती है फिलहाल वित्त विभाग ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय को महंगाई भत्ता व राहत में वृद्धि करने का कोई भी प्रस्ताव अभी तक नहीं भेजा है। प्रदेश के अधिकारियों-कर्मचारियों का महंगाई भत्ता केंद्रीय कर्मचारियों की तुलना में 16 प्रतिशत कम है। उल्लेखनीय है कि राज्य में कोरोना संकट के चलते 2020 से महंगाई भत्ता नहीं बढ़ाया गया है।
कांग्रेस सरकार ने पिछले साल मार्च में 12 प्रतिशत महंगाई भत्ते को बढ़ाकर 17 प्रतिशत करने का फैसला किया था, इसके आदेश भी जारी हो गए थे लेकिन सत्ता में पलटफेर हो गया। इस बीच केंद्र सरकार ने भी कोरोना की स्थिति देखते हुए महंगाई भत्ते की वृद्धि को स्थगित कर दिया था इसके आधार पर सरकार ने महंगाई भत्ते में पांच प्रतिशत की बढ़ोत्तरी को रद्द कर दिया था।
जल्द मिलेगा शुभ समाचार
दरअसल, शिवराज सरकार ने यह व्यवस्था बनाई है कि जैसे ही केंद्र सरकार महंगाई भत्ते में वृद्धि करती है, राज्य सरकार भी आदेश जारी कर देती है पर इस बार ऐसा नहीं हो रहा है। जबकि, इसको लेकर तैयारियां काफी पहले से चल रही हैं। वित्त विभाग प्रस्ताव बनाकर भी मुख्यमंत्री सचिवालय को भेज चुका है लेकिन अंतिम निर्णय होना बाकी है। बता दें, राज्य सरकार के प्रवक्ता गृहमंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा ने कुछ दिन पहले कहा था कि कर्मचारी धैर्य रखें, शुभ समाचार जल्दी मिलेगा लेकिन इस बीच उपचुनाव की आचार संहिता लग गई। अब माना जा रहा है कि महंगाई भत्ते में वृद्धि दीपावली के बाद ही हो पाएगी अभी तक सरकार की ओर से मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय को इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया है।